The Legacy of Bhikhari Thakur
वही कल्पना, जिसने कभी “गवनवा ले ल राजा जी” और “एगो चुम्मा ले ल राजा जी” जैसे गीत गाकर लोकप्रियता के सारे रिकार्ड तोड़े थे। बाद में कल्पना ने भोजपुरी संगीत संसार को अपनी सुमधुर आवाज से सजाया संवारा। आज भोजपुरी संगीत की चर्चा होती है तो कल्पना का नाम किसी अतिथि के रुप में नहीं, बल्कि बिहार की बेटी के रुप में ही होती है। वैसे कल्पना मूल रुप से आसाम की रहने वाली हैं। पिछले एक दशक से इन्होंने दिल को छूने वाली आवाज और भोजपुरी के प्रति समर्पण के बूते नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
आज के राक और तथाकथित सोलो म्यूजिक के दौर में भी कल्पना ने शतायु बिहार को अपनी ओर से एक साहसी तोहफ़ा दिया है। साहसी इस मायने में कि कल्पना ने भिखारी ठाकुर की परंपरा को अपनी आवाज के सहारे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। अपने नवीनतम एलबम “द लीगेशी आफ़ भिखारी ठाकुर” के जरिये कल्पना ने भिखारी ठाकुर के उन गीतों को अपनी आवाज से सजीव बनाया है, जो उनके जीवनकाल में तो सजीव थे, लेकिन बाद में काल के गाल में समा गये थे।
अपना बिहार के साथ बातचीत में कल्पना बताती हैं कि एलबम के निर्माण से पहले उन्होंने भिखारी साहित्य का गहनपूर्वक अध्ययन किया। अध्ययन के दौरान इन्होंने पाया कि भिखारी ठाकुर ने आज के वर्तमान की सच्चाई को अतीत में ही अपनी नाटकों में वर्णित किया था। हालांकि कल्पना की कल्पना भी ब्राह्मणवाद के पाखंड के मायाजाल में सीमित रह जाती है और वह भिखारी ठाकुर के द्वारा बतायी गयी सामाजिक सच्चाई को भी उसी चश्मे से देखती हैं। इसका प्रभाव गीतों के चयन और प्रस्तुतियों में सुनाई पड़ता है। एलबम की कीमत 195 रुपए है और इस दृष्टिकोण से यह महंगा अवश्य है, लेकिन भिखारी ठाकुर को समर्पित गीतों को कल्पना की आवाज के लिहाज से इसे महंगा नहीं कहा जाना चाहिए।
बहरहाल, सौ साल पूरा होने पर बिहार की दत्तक बेटी कल्पना ने बिहारवासियों को अनमोल तोहफ़ा दिया है। सारंगी के प्रयोग ने प्रस्तुति को और अनूठा बना दिया है। सबसे अधिक कल्पना की चंचल और शोख आवाज ने भिखारी ठाकुर के गीतों को 21वीं सदी में सजीव बनाने में सफ़ल हुई हैं। इसके लिये ये बधाई की पात्र हैं। अपना बिहार भी इनके इस संगीतमय प्रयास को सलाम करता है।
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